बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 7
मध्य वयस्कावस्था
(Middle Adulthood)
प्रश्न- मध्यावस्था से आपका क्या अभिप्राय है ? इसकी विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
अथवा
मध्य वयस्कावस्था में शारीरिक और बौद्धिक कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं ? विवेचना कीजिए।
उत्तर -
सामान्यतः मध्यावस्था या Middle age 40-50 वर्ष तक चलती है। इस अवस्था में लोग भयभीत होते हैं। इस अवस्था का परिवर्तन व्यक्तिगत भिन्नता के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। मध्यावस्था पूर्व प्रौढ़ावस्था का अन्त है।
पूर्व प्रौढ़ावस्था में स्त्री व पुरुष का लैंगिक जनन शक्ति, शारीरिक शक्ति व कामशक्ति घट जाती है परन्तु स्त्री व पुरुष यह स्वीकारने को तैयार नहीं होते हैं।
मध्यावस्था में शारीरिक एवं मानसिक क्षमताएँ घटने लगती हैं। इसी अवधि के अन्त तक नौकरी पेशे वाले सेवानिवृत्त होते हैं। इससे स्पष्ट है कि इस अवधि में ह्रासात्मक परिवर्तनों की गति बढ़ जाती है।
अतः समायोजन बनाए रखने के लिए सक्रिय रहना चाहिये। लोगों में धार्मिक एवं पारिवारिक प्रवृत्तियाँ बढ़ जाती हैं तथा उन्हें किशोरों के साथ समायोजन स्थापित करने में कठिनाई होती है और वृद्धावस्था का भय सताने लगता है।
निराशा, एकाकीपन, बाधाएँ एवं स्वतन्त्रता की कमी जीवन को बोझिल बना देती हैं। अत: इसमें बोरियत की अनुभूति होने लगती है तथा लोग आगे के बारे में सोचकर चिन्तित होने लगते हैं।
(Physical Changes in Middle Adulthood)
मध्यावस्था शारीरिक क्षमताओं के दृष्टिकोण से भिन्न क्षेत्रों में ह्रास की ओर अग्रसर होती है। शारीरिक गतिविधियों में गिरावट व क्षमताओं में कमी देखी जाती है। मध्यावस्था में प्रत्येक स्त्री व पुरुष को जरण का सामना करना पड़ता है। जरण प्रक्रिया एक ही आयु वाले व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न होती है।
जरण प्रक्रिया के निम्न कारण हो सकते हैं-
(i) पुरानी कोशिकाओं में बाह्य पदार्थों का इकट्ठा हो जाना।
(ii) विभिन्न अंगों में क्षमता का घटना ।
(iii) ग्रन्थियों के कार्य में परिवर्तन ।
(a) शारीरिक परिवर्तन का स्वरूप - इस अन्त:स्त्रावी आयु में आमतौर पर भार बढ़ जाता है, कमर के आस-पास मोटापा आ जाता है अधिक भार वाले व्यक्तियों में कई रोग हो जाते हैं, जैसे - हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, त्वचा व बालों में भी परिवर्तन आ जाता है।
(b) परिपक्वता - उम्र के साथ मध्यावस्था अवस्था आते-आते व्यक्ति पूर्ण परिपक्व व्यक्ति बन जाता है।
(c) अस्थि परिवर्तन - मध्यावस्था में शारीरिक आकृति कड़ेपन व सिकुड़ने की वजह से लचीलापन खो देती है। यह देखा गया है कि शारीरिक गतिविधियों में गिरावट के कारण त्वचा व माँसपेशियों में लचीलापन कम हो जाता है और शरीर जो आकार ले लेता है उसका पुनः अपने पूर्व आकार को प्राप्त करना सम्भव नहीं होता। मध्यावस्था में व्यक्ति अपनी शारीरिक बनावट को लेकर काफी परेशान रहते हैं तथा युवा बना रहना चाहते हैं। अस्थियाँ भंगुर हो जाती हैं तथा टूटी हड्डियाँ जुड़ने में ज्यादा समय लेती हैं। हाथ-पैरों के जोड़ों में तकलीफ के कारण चलने में कठिनाई का अनुभव होता हैं।
(d) संवेदना सम्बन्धी दोष - मध्यावस्था में सांवेदनिक योग्यताओं में कमी आना प्रारम्भ हो जाता है इसका सबसे अधिक प्रभाव नाक व कान पर पड़ता है। धीमे स्वर को सुनने में परेशानी होती है तथा व्यक्ति उच्च ध्वनि से बोलने लगता है। नाक में बाल बढ़ जाने के कारण घ्राणेन्द्रिय व स्वादेन्द्रिय पर भी प्रभाव पड़ता है । दृष्टि दोष हो जाते हैं व दूर दृष्टि दोष हो जाते हैं, व्यक्ति को चश्मा लगाना ही पड़ता है।
कुछ अन्य परिवर्तन
(1) संवेदना सम्बन्धी कौशल - संवेदना सम्बन्धी कौशल में कमी आ जाती है, काम में अधिक समय लगता है, रचनात्मक या क्रियात्मक कौशल धीमे हो जाते हैं, यह हर वयस्क व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं होता है। खिलाड़ियों में मध्यवय में कमी देखी जाती है व नये कौशल सीखने में समय लगता है।
(2) जनन क्षमता - सम्पूर्ण मध्यावस्था में काम रुचि व क्रियाएँ बढ़ती हुई रहती हैं क्योंकि अधिकतर पुरुष स्वयं को बूढ़ा कहलाना पसन्द नहीं करते हैं।
(3) बीमारी सम्बन्धी घटनाएँ - मध्यवय व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित हो जाता है चूँकि उसका शरीर रसायन Harmonal Changes, कोशिकाओं में गिरावट या जरण की वजह से किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हो जाता है व बाद में यह और विस्तार से परिलक्षित होते हैं। मध्यावस्था में व्यक्ति उन बीमारियों से लड़ने का प्रयास करता है लेकिन वृद्धावस्था में यह बीमारियाँ स्थायी हो जाती हैं।
(4) पोषण व स्वास्थ्य का स्तर - मध्यावस्था में पोषण व स्वास्थ्य का स्तर गिर जाता है। मध्यावस्था में पाचन शक्ति दुर्बल हो जाती है। खान-पान की आदतों में कुछ परिवर्तन की आवश्यकता पड़ती है।
मध्यावस्था की स्वास्थ्य समस्याएँ
मध्यावस्था में शारीरिक स्वास्थ्य गिर जाता है इस अवस्था में स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ निम्न हैं-
(1) शीघ्र थक जाना,
(2) अनिद्रा,
(3) भूख न लगना,
(4) कानों में सनसनाहट,
(5) त्वचा में संवेदनशीलता,
(6) शरीर में कई स्थानों में पीड़ा,
(7) आँतों सम्बन्धी विकार,
(8) आमाशय की अम्लता - डकार आना।
मध्यावस्था में व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निम्नलिखित बातों का प्रभाव पड़ता है-
(i) व्यक्ति की वंश परम्परा,
(ii) पिछले वर्षों में उसकी स्वास्थ्य दशा,
(iii) उसके जीवन में आने वाले सांवेगिक तनाव,
(iv) परिवर्तित शारीरिक अवस्था के अनुसार रहन-सहन में परिवर्तन।
जो व्यक्ति अपने रहन-सहन में परिवर्तन नहीं करता उसे व्याधियों का अधिक शिकार होना पड़ता है।
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